Category Archives: व्रत कथायें

निर्जला एकादशी (ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष) व्रत कथा

निर्जला एकादशी वर्ष 2020 में 02 जून, मंगलवार को है। यह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में आती है। ॥ अथ ज्येष्ठशुक्लैकादशी कथा ॥ महाराजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय एक बहुत बड़ा यज्ञ करते है। इस महायज्ञ में सूतजी भी उपस्थित होते है। सूत जी ऋषियों की एक सभा बुलाते है। महर्षि शौनक उस सभा

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आँवले का पेड़ : दशामाता पर्व की कहानी

आँवले का पेड़ : प्यारी बाई के कहानी संग्रह से ली गयी दशामाता पर्व की कहानी एक समय की बात है एक सेठ सेठानी थे। सेठानी बहुत नियम धरम वाली थी। वह होली के दिनों में प्रतिदिन दशामाता, गणपति, सूर्यनारायण, पंथवारी माता और तुलसी माता की कहानी कहती थी। उनके घर में एक आँवले का

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तुलसी महारानी का ब्राह्मण की सातवीं बेटी बनना

तुलसी महारानी का ब्राह्मण की सातवीं बेटी बनना : प्यारी बाई के कहानी संग्रह से ली गयी दशामाता पर्व की कहानी एक ब्राह्मण था, वह प्रतिदिन मंदिर जाता था । वह प्रतिदिन तुलसी माता की पूजा करता था । वह तुलसी माता से प्रतिदिन प्रार्थना करता था कि है तुलसी महारानी मेरे आनंद करना। तुलसी

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फकीर की बेटी : दशामाता पर्व की कहानी

फकीर की बेटी : प्यारी बाई के कहानी संग्रह से ली गयी दशामाता पर्व की कहानी एक नगरी है उसमें एक बाग है । बाग में एक फकीर रहता है । वह बस्ती में से भीख मांगकर लाता था। कोई आटा देता, कोई रोटी तो कोई अनाज देता था। परंतु होली के आने के बाद

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पंथवारी माता की कहानी : बुढ़िया की तीर्थ यात्रा

पंथवारी माता की कहानी “बुढ़िया की तीर्थ यात्रा” : प्यारी बाई के कहानी संग्रह से ली गयी दशामाता पर्व की कहानी एक गांव था । वहां के कुछ लोग यात्रा पर जा रहे थे। गाँव में एक बुढ़िया भी रहती थी। उस बुढ़िया ने सोचा कि मैं भी यात्रा पर जाऊं तो उसने लोगों को

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पाट पीताम्बर का वेस भाग्यवती बुढ़िया

पाट पीताम्बर का वेस : प्यारी बाई के कहानी संग्रह से ली गयी दशामाता पर्व की कहानी एक बुढ़िया थी । उसको तुलसी पूजा करने का नित्य का नियम था । वह प्रतिदिन खाना खाने से पहले पूजा करती थी और उसके बाद खाना खाती थी । वह तुलसी माता से प्रतिदिन प्रार्थना करती थी

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बहन की भक्ति : पंथवारी माता की कहानी

बहन की भक्ति : प्यारी बाई के कहानी संग्रह से ली गयी दशामाता पर्व की कहानी दो भाई बहन थे। पहले उस कन्या के कोई भाई नहीं था , वो कन्या पंथवारी माता से प्रतिदिन प्रार्थना करती थी कि मुझे भाई देना, मैं रोज आपकी पूजा करूंगी। थोड़े समय बाद कन्या की भक्ति सफल हुई।

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छोटो मोटो : दशामाता पर्व पर कहा जाने वाला श्लोक

छोटो मोटो : प्यारी बाई के कहानी संग्रह से लिया गया दशामाता पर्व पर कहा जाने वाला श्लोक छोटो मोटो चांदन छोटो गवरी पुत विनायक वृंदावन रो वास तपिया बैठा तपेश्रि तपिया बैठा तप री पाल वऊ रो रांधीयो धी रो परुसियो सासु रान्धी खीर माता रान्धी राब खट्टी लागे खीर मीठी लागे राब पीपलियो

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दशामाता का न्याय: दशामाता पर्व की कहानी

दशामाता का न्याय : प्यारी बाई के कहानी संग्रह से ली गयी दशामाता पर्व की कहानी एक समय की बात हैं, एक गाँव में चार में भाई रहते थे । उनके माता पिता की मृत्यु हो गयी थी । चारो भाई खेती बाड़ी का काम करते थे और साथ में मिलकर रहते थे । कुछ

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सोने के लड्डू : दशामाता पर्व की कहानी

सोने के लड्डू : प्यारी बाई के कहानी संग्रह से ली गयी दशामाता पर्व की कहानी एक समय की बात हैं एक बुढ़िया थी। वह नित्य ही पूजा करती थी और मंदिर दर्शन करने जाया करती थी। उसको गणेश जी का इष्ट था। तो वह प्रतिदिन गणेश जी के मंदिर जाती थी और गणेश जी

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