विष्णु मंत्र – हिंदी अर्थ सहित
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं ।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं ।
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ।।
मंत्र का हिंदी में अर्थ:
- शान्ताकारं : जिनकी आकृति अतिशय शांत है, वह जो धीर क्षीर गंभीर है
- भुजंगशयनं : जो शेषनाग की शैया पर शयन किए हुए है (विराजमान है)
- पद्मनाभं : जिनकी नाभि में कमल है
- सुरेशं : जो देवताओं के भी ईश्वर है
- विश्वाधारं : जो संपूर्ण जगत के आधार है
- गगनसदृशं : जो आकाश के जैसे सर्वत्र व्याप्त है
- मेघवर्णं : नीलमेघ के समान जिनका वर्ण है
- शुभाङ्गम् : अतिशय सुंदर जिनके संपूर्ण अंग हैं, जो अति मनभावन एवं सुंदर है
- लक्ष्मीकान्तं : लक्ष्मीपति
- कमलनयनं : कमलनेत्र (जिनके नयन कमल के समान सुंदर हैं)
- योगिभिर्ध्यानगम्यं : (योगिभिर – ध्यान – गम्यम्) – जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त किए जाते हैं, (योगी जिनको प्राप्त करने के लिया हमेशा ध्यानमग्न रहते हैं)
- वन्दे विष्णुं : ऐसे भगवान श्रीविष्णु को मैं प्रणाम करता हूँ (ऐसे परमब्रम्ह श्री विष्णु को मेरा नमन है)
- भवभयहरं : जो जन्म-मरण रूपी भय का नाश करने वाले हैं, जो सभी भय को नाश करने वाले है
- सर्वलोकैकनाथम् : जो संपूर्ण लोकों के स्वामी हैं, सभी चराचर जगत के ईश्वर है