
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यम् , नमस्तुभ्यम् सुरेश्वरि ।
हरिप्रिये नमस्तुभ्यम् , नमस्तुभ्यम् दयानिधे ।।
पद्मालये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्व भूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ।।
मंत्र का हिंदी में अर्थ:
- महालक्ष्मी नमस्तुभ्यम् – महालक्ष्मी देवी को नमस्कार है
- नमस्तुभ्यम् सुरेश्वरि – जो देवताओं की भी ईश्वरी है (देवता भी जिनकी स्तुति करते है )
- हरिप्रिये नमस्तुभ्यम् – जो श्री विष्णु भगवान की प्रिया है उन्हें नमस्कार है
- नमस्तुभ्यम् दयानिधे – जो अत्यंत ही दयालु है उन्हें नमस्कार है
- पद्मालये नमस्तुभ्यं – कमल में निवास करने वाली देवी को नमस्कार है
- नमस्तुभ्यं च सर्वदे – और सभी सुख और सम्पदा देने वाली देवी को नमस्कार है
- सर्वभूत हितार्थाय – सभी का आप भला करें
- वसु सृष्टिं सदा कुरुं – संसार की सभी सम्पदा हमें प्रदान करें