Category Archives: हमारी धरोहर

श्राद्ध का शास्त्रीय स्वरूप

श्राद्ध के बारें में शास्त्रों में भी बहुत वर्णन है। उन्ही में से कुछ बातें इस पोस्ट के माध्यम से जानते है। श्राद्ध या पितृ पक्ष, भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन महीने की अमावस्या तक होता है। मृत पितरों के उद्देश्य से जो अपने प्रिय भोग्य पदार्थ (ब्राह्मण को) श्रद्धापूर्वक प्रदान किये

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श्रीराम भगवान के अवतार की प्राचीनता कितनी है

श्रीराम भगवान के अवतार की प्राचीनता के बारें में जानते है। आज से 8,69,121 वर्ष पूर्व त्रेता युग समाप्त होकर द्वापर युग प्रारम्भ हुआ था। उसके पूर्व ही त्रेता युग के अन्त में भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। द्वापर के अन्त में श्री कृष्ण का अवतार हुआ था। हमारे प्राचीन वाङ्मयान्तर्गत विवेचनों एवं

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गणेश मंत्र “वक्रतुंड महाकाय…” – हिंदी अर्थ सहित

गणेश मंत्र – हिंदी अर्थ सहित वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ: ।निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपद: ।शत्रुबुध्दिविनाशाय दीपजोतिर्नामोस्तुते ॥ मंत्र का हिंदी में अर्थ: वक्रतुंड महाकाय : हे हाथी के जैसे विशालकाय सूर्य कोटि समप्रभ: : जिनका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान हैं निर्विघ्नं कुरु मे

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विष्णु मंत्र – हिंदी अर्थ सहित

विष्णु मंत्र – हिंदी अर्थ सहित शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं । विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं । वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ।। मंत्र का हिंदी में अर्थ: शान्ताकारं : जिनकी आकृति अतिशय शांत है, वह जो धीर क्षीर गंभीर है भुजंगशयनं : जो शेषनाग की शैया पर शयन किए हुए है (विराजमान

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महालक्ष्मी मंत्र – हिंदी अर्थ सहित

महालक्ष्मी नमस्तुभ्यम् , नमस्तुभ्यम् सुरेश्वरि । हरिप्रिये नमस्तुभ्यम् , नमस्तुभ्यम् दयानिधे ।। पद्मालये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं च सर्वदे । सर्व भूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ।। मंत्र का हिंदी में अर्थ: महालक्ष्मी नमस्तुभ्यम् – महालक्ष्मी देवी को नमस्कार है नमस्तुभ्यम् सुरेश्वरि – जो देवताओं की भी ईश्वरी है (देवता भी जिनकी स्तुति करते है )

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भारतीय संस्कृति को अंको के माध्यम से जानिये

भारतीय संस्कृति को अंको के माध्यम से जानिये। 2 अयन : दक्षिणायन, उत्तरायण पक्ष : कृष्ण पक्ष, शुक्ल पक्ष 3 धरा पर अवस्थित अग्नि : दैविक, दैहिक, भौतिक भौतिक अग्नि : जठराग्नि, दावाग्नि, बडवाग्नि कुंभ : महाकुंभ, पूर्णकुंभ, अर्धकुंभ त्रिगुण : सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण त्रिदेव : ब्रह्मा, विष्णु, महेश दोष : वात्त, पित्त, कफ लोक

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व्रत : वैदिक ग्रंथो के आधार पर व्रत परिचय

व्रत से आत्मा शुद्ध होती है। संकल्पशक्ति शक्ति बढ़ती है। वैदिक संहिताओं (ऋग्वेदीय संहिताओं के अतिरिक्त) और उपनिषदों में व्रतों के दो अर्थ लिखे हुए है : 1) संकल्प या धार्मिक कृत्य या आचरण तथा व्रत धारण करते समय भोजन-सम्बंधित रोक कोई संकल्प लेता है कि उसे हमेशा सत्य ही बोलना है तो वो भी

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विदुर नीति : जानने योग्य बातें

जो मनुष्य आपके साथ जैसा बर्ताव करें, उसके साथ वैसा ही बर्ताव करना चाहिये – यही नीति है। कपट का आचरण करनेवाले के साथ कपटपूर्ण बर्ताव करना चाहिये; और अच्छा व्यवहार करने वाले के साथ साधु-व्यवहार से ही पेश आना चाहिये। जो अपने लिये प्रतिकूल जान पड़े, उसे दूसरों के लिये भी न करें। थोड़े

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भोजन के ये नियम अपनाइये और स्वस्थ्य लाभ लीजिये

भोजन के कुछ नियम भोजन को ईश्वर को अर्पण करके खाना चाहिए और भोजन की निंदा नहीं करनी चहिये, बिना निंदा किये खाना करना चाहिए। मनुस्मृति के अनुसार, भूख लगने पर ही भोजन ग्रहण करना चाहिए और प्रसन्नतापूर्वक करना चाहिये। तथा भोजन स्नान करने के पश्चात् ही करना चाहिए। हड़बड़ाहट में खाना नहीं खाना चाहिए,

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संकल्प और आचमन क्या होता है?

संकल्प क्या होता है ?किसी कार्य के लिए शपथ उठाना, दृढ़ प्रतिज्ञा करना ही संकल्प है। शपथ कभी कभी गलत कार्य करने के लिए भी ली जाती है। इसके विपरीत पूर्ण श्रद्धा, आत्मविश्वास एवं विनम्रतापूर्वक शुभ कार्य करने को प्रेरित अनुष्ठान का नाम संकल्प है। संकल्प क्यों लिया जाता है ? संकल्प के बिन किसी

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