Category Archives: पर्व त्यौहार

रूप चतुर्दशी

कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को रूप चौदस, काली चौदस, नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली आदि नामों से पुकारा जाता है। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी हनुमान जी का जन्म दिवस भी है, इसलिए इस दिन हनुमान जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। विधि विधान : कार्तिक के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को दिनोदय में नरक से बचने के लिए तैल

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धनतेरस (कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी)

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को सायंकाल में यम-दीपदान किया जाता है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धन त्रयोदशी या धन तेरस कहा जाता है। इस दिन प्रदोष काल में यम के लिए दीपदान एवं नैवेद्य समर्पित करने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। मानव को अकाल मृत्यु से बचाने के लिए दो ही वस्तु तो आवश्यक

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दीपावली उत्सव

दीपावली का सभी त्यौहारों में  अपना विशेष स्थान है। किसी देव या देवी के सम्मान में किया गया यह केवल एक उत्सव नहीं है, जैसा कि कृष्ण जन्माष्टमी या नवरात्र है। दीपावली का उत्सव 4-5 दिनों तक चलता है। इसमें 4-5 दिनों तक विभिन्न कृत्य होते है – धन-पूजा, यम-दीपदान, नरकासुर पर कृष्ण विजय का उत्सव, लक्ष्मी

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श्राद्ध का शास्त्रीय स्वरूप

श्राद्ध के बारें में शास्त्रों में भी बहुत वर्णन है। उन्ही में से कुछ बातें इस पोस्ट के माध्यम से जानते है। श्राद्ध या पितृ पक्ष, भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन महीने की अमावस्या तक होता है। मृत पितरों के उद्देश्य से जो अपने प्रिय भोग्य पदार्थ (ब्राह्मण को) श्रद्धापूर्वक प्रदान किये

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बसंत पंचमी

माघ शुक्ला पंचमी बसंत पंचमी के नाम से विख्यात है। यह वैदिक कालीन पर्व है। इस दिन बालकों का उपनयन कर उन्हें महर्षि अपने विद्यापीठ हो में शिक्षण के लिए प्रविष्ट किया करते थे। बसंत पंचमी का उत्सव ऋतुराज बसंत के आरंभ का है। अतः इस दिन से होरी और धमार का गाना आरंभ होता

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मकर संक्रांति

मकर संक्रांति भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख और लोकप्रिय पर्व है। इस त्यौहार को हर साल जनवरी के महीने में मनाया जाता है। मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं। मकर संक्रान्ति स्नान-दान का पर्व है। आज से 127 साल पहले, उन दिनों के पंचांग के अनुसार यह 12 या 13 जनवरी को

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शरद पूर्णिमा का इतना विशेष महत्व क्यों है?

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरत्पूर्णिमा कहते है। यह उत्सव रात्रि में किया जाता है। शरद पूर्णिमा की रात्रि को ही कृष्ण भगवान् ने महारास किया था। रासोत्सव का यह दिन वास्तव में भगवान्‌ कृष्ण ने जगत के कल्याणार्थ ही निश्चित करा है।  चन्द्रमा की चांदनी शरद ऋतु में जैसी आनन्दायक और लाभदायक होती

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विजयादशमी पर्व विशेष

विजयादशमी वर्ष की तीन अत्यंत शुभ तिथियों में से एक है। इसीलिए इस दिन बच्चो को अक्षरज्ञान प्रारम्भ कराते है तथा इसी दिन लोग नया कार्य आरम्भ करते है । इसी दिन श्रवण नक्षत्र में राजा महाराजा विजय के लिए प्रस्थान करते थे । विजयादशमी विजय तथा शांति के लिए अत्यंत शुभ तिथि है। विजयादशमी

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दुर्गा नवमी 2020 में 24 अक्टूबर को क्यों ?

दुर्गा नवमी 2020 में 25 अक्टूबर प्रातःकाल तक है तब भी दुर्गा नवमी 24 को ही मनेगी। दुर्गा महा नवमी पूजा 2020 की तारीख अक्टूबर 24, 2020 को 07:01:02 से नवमी आरम्भअक्टूबर 25, 2020 को 07:44:04 पर नवमी समाप्त इस वर्ष नवमी तिथि 24 अक्टूबर को अष्टमी से भी संयुक्त हो रही है और 25

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