दुर्गा नवमी 2020 में 25 अक्टूबर प्रातःकाल तक है तब भी दुर्गा नवमी 24 को ही मनेगी।
दुर्गा महा नवमी पूजा 2020 की तारीख
अक्टूबर 24, 2020 को 07:01:02 से नवमी आरम्भ
अक्टूबर 25, 2020 को 07:44:04 पर नवमी समाप्त
इस वर्ष नवमी तिथि 24 अक्टूबर को अष्टमी से भी संयुक्त हो रही है और 25 अक्टूबर को दशमी तिथि से भी संयुक्त हो रही है। फिर भी नवमी 24 को ही मनाई जाएगी।
2020 में नवमी 25 अक्टूबर प्रातःकाल तक है फिर भी नवमी 24 को ही क्यों मनाई जाएगी?
यह जानने के लिए यह जानना आवश्यक है कि महानवमी कब मनाई जाती है।
कब मनाई जाती है महानवमी?
● यदि नवमी तिथि अष्टमी के दिन ही प्रारंभ हो जाती है तो नवमी पूजा और उपवास अष्टमी को ही किया जाता है।
● शास्त्रों के अनुसार यदि अष्टमी के दिन सांयकाल से पहले अष्टमी और नवमी तिथि का विलय हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में अष्टमी पूजा, नवमी पूजा और संधि पूजा उसी दिन करने का विधान है।
महानवमी दुर्गा पूजा का अंतिम दिन होता है। इस दिन की शुरुआत भी महास्नान और षोडशोपचार पूजा से होती है। महानवमी पर देवी दुर्गा की आराधना महिषासुर मर्दिनी के तौर पर की जाती है। इसका मतलब है असुर महिषासुर का नाश करने वाली। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इस दिन महानवमी पूजा, नवमी हवन की परंपरा निभाई जाती है।
नवमी हवन
महानवमी के दिन नवमी हवन का बड़ा महत्व है। यह हवन नवमी पूजा के बाद किया जाता है। नवमी हवन को चंडी होम भी कहा जाता है। मां दुर्गा के भक्त नवमी हवन आयोजित कर देवी शक्ति से बेहतर स्वास्थ और समृद्धि की कामना करते हैं।
ध्यान रहे कि नवमी का हवन हमेशा दोपहर के समय किया जाना चाहिए। हवन के दौरान प्रत्येक आहुति पर दुर्गा सप्तशती के 700 मंत्रों का पाठ करना चाहिए।
देवी पुराण के अनुसार दुर्गा माता होम, दान और जप से भी ज्यादा प्रसन्न कन्याओं को सम्मान देने से होती है।
अतः दुर्गापूजा में कन्या पूजन विशेष महत्व रखता है। कन्याओ को भोजन कराया जाता है तथा दक्षिणा भी अर्पण करी जाती है।
दो वर्ष की कन्या कुमारी, तीन की त्रिमूर्तिनी, चार की कल्याणी, पाँच की रोहिणी, छः की काली, सात की चण्डिका, आठ की शाम्भवी, नौ की दुर्गा और दस वर्ष की सुभद्रास्वरूप होती है।