श्रीराम भगवान के अवतार की प्राचीनता के बारें में जानते है।
आज से 8,69,121 वर्ष पूर्व त्रेता युग समाप्त होकर द्वापर युग प्रारम्भ हुआ था। उसके पूर्व ही त्रेता युग के अन्त में भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। द्वापर के अन्त में श्री कृष्ण का अवतार हुआ था। हमारे प्राचीन वाङ्मयान्तर्गत विवेचनों एवं पञ्चाङ्गों के उद्धरणों के अनुसार 8,80,162 वर्ष पूर्व श्रीराम-रावण युद्ध हुआ था।
त्रेता युग तो 21,75,121 वर्ष पूर्व वैशाख शुक्ल 3 सोमवार को ही प्रारम्भ हो गया था, जिसके अन्तिम भाग में श्रीराम जन्म हुआ था। इसी त्रेता युग की 12,96,000 वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर, माघ कृष्ण 30 अर्थात अमावस्या शुक्रवार को द्वापर युग प्रारम्भ हुआ था। उसी प्रकार 38,93,121 वर्ष पूर्व, कार्तिक शुक्ल 9 बुधवार को वर्तमान वैवस्वत मन्वंतर की 28वीं चतुर्युगी का सतयुग प्रारम्भ हुआ था। कभी-कभी कुछ लोग वर्ष प्रतिपदा को ही युगारम्भ लिख देते हैं, जो सही नहीं है। चारों युगों के प्रवेश की तिथियाँ भिन्न-भिन्न हैं। इसके उपरान्त भी नव संवत्सर का प्रारम्भ तो वर्ष प्रतिपदा से ही होता है।
ऊपर 8 लाख 80 हजार वर्ष की अवधि की प्राचीनता पर कुछ लोग प्रश्न खड़ा करते हैं। रामायण काल की इस पुरातनता के अनेक प्रमाणों में से एक का विवेचन भी उपयोगी होगा। वाल्मीकि रामायण में चार दाँत वाले हाथियों का उल्लेख आता है, जो पृथ्वी पर 4 करोड़ वर्षों से होता आये है पर 8-10 लाख वर्ष पूर्व पूरी तरह से विलुप्त हो गए। पृथ्वी पर जो जीव 8-10 लाख वर्ष पूर्व पूरी तरह से विलुप्त हो गए, उनका वर्णन वाल्मिकी रामायण में होने से यह भी सिद्ध होता है कि रामायण काल इतना प्राचीन निश्चित ही था। महाभारत काल 5,000 वर्ष पूर्व का ही होने से उसमें 4 दाँत वाले हाथियों का उल्लेख नहीं है।
राम सेतु की प्राचीनता जैसे अन्य भी अनेक प्रमाण हैं।