बहन की भक्ति : पंथवारी माता की कहानी

बहन की भक्ति : प्यारी बाई के कहानी संग्रह से ली गयी दशामाता पर्व की कहानी

दो भाई बहन थे। पहले उस कन्या के कोई भाई नहीं था , वो कन्या पंथवारी माता से प्रतिदिन प्रार्थना करती थी कि मुझे भाई देना, मैं रोज आपकी पूजा करूंगी। थोड़े समय बाद कन्या की भक्ति सफल हुई। जब उसके भाई हुआ तो प्रतिदिन वह पांच कंकर रखकर पथवारी माता जी की पूजा करती थी।

वह कन्या जब बड़ी हुई तब उसकी शादी पास वाले गांव में करा दी थी। वह प्रतिदिन ससुराल से आकर पांच कंकर रखकर पंथवारी माता जी की पूजा करती थी और भाई की शक्ल देखकर पुनः ससुराल चली जाती थी और फिर उसके बाद ही खाना खाती थी।

कन्या की भक्ति

ऐसे करते-करते बहुत सारे साल बीत गए इसलिये कंकरो का ढेर खूब उंचा हो गया और कंकर चारों तरफ बिखर गए। 1 दिन बहन को आने में देर हो गई तो भाई ने सोचा कि आज मेरी बहन नहीं आई है तो मैं ही अपनी बहन से मिलने चला जाता हूं।

भाई जब आगे गया तो क्या देखता है कि रास्ते में कंकड़ ही कंकड़ बिखरे हुए हैं और रास्ता पूरा रुक गया है।

वह सोचने लगा कि इस रास्ते से मेरी बहन कैसे आती होगी। वह फावड़ा लेकर गया और जो कंकरो का ढेर था, उसको काट कर बीच में से रास्ता बना दिया और घर चला गया ।

थोड़ी देर से उसकी बहन आयी तो क्या देखती है कि पंथवारी माता के तो खून टपक रहा है । एसा देखकर वह बोलती है, रे किसने मेरी पंथवारी माता को काटा। जिसने भी पंथवारी माता को काटा हो वह मर जाए उसकी मृत्यु हो जाए। बहन के ऐसा कहने के बाद ही उसका भाई मर गया और लोग इकट्ठे हो गए और लोग बोलने लगे कि यह फलाना आदमी तो मर गया है।

इसको लेजाने की तैयारी करो। इतने में उसकी पत्नी बोली कि रुको अभी मत ले जाओ इनको, इनकी बहन आयेगी और वो इनका मुहँ देखेगी फिर ले जाना इनको। थोड़ी देर मे उसकी बहन आ गयी और बोली कि यह क्या हो गया है मेरा भाई तो मर गया है । मेरा भाई कैसे मर गया? रुको इसको कोई ले जाना मत। मैं वापिस आती हूं।

ऐसा कहकर बहन पंथवारी माता के पास जाती है और बोलती हे कि है पंथवारी माता मैं अपने भाई के लिए तो पंथवारी पूजती थी और मेरा भाई ही मर गया,यह क्या हो गया।

उस समय सतयुग चल रहा था इसलिए पंथवारी माता स्वयं बोली कि तूने ही तो कहा था कि जिसने भी मेरी पंथवारी माता को काटा हो उसकी मृत्यु हो जाए, इसलिये वो मर गया। बहन बहुत दुखी हो गयी। मैं क्या करूँ अब, अब क्या करे इस प्रकार वो विलाप करती हुई पंथवारी माता से विनती करने लगी कि मेरे भाई को वापिस जिन्दा कर दो।

पंथवारी माता उसे बोली कि तू यहां से 5 कंकर ले जा और उनको धोकर उसका पानी पिला देना और उस पर छींटे दे देना वह जिंदा हो जाएगा।
उसको छींटे देकर और पानी पिलाते हैं वह जिंदा हो गया और उठ कर बोला कि आज तो बहुत अच्छी नींद आई। उसकी बहन बोली कि ऐसी नींद किसी को भी नहीं आए।

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