Category Archives: सूर्यनारायण की कहानियाँ

दो परदे की हांडी वाली सूर्यदेव की कहानी

दो परदे की हांडी : प्यारी बाई के कहानी संग्रह से ली गयी दशामाता पर्व की कहानी पुराने समय की बात है सूर्यनारायण भगवान की जो माताजी है वो एक दिन प्रजापत के पास जाती है और बोलती है कि हे प्रजापत हमे दो परदे वाली हांडी बना कर दे दे। प्रजापत उन्हें वैसी हांडी

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कीड़ी ने कण न हाथी ने मण : सूर्यदेव की कहानी

कीड़ी ने कण न हाथी ने मण : प्यारी बाई के कहानी संग्रह से ली गयी दशामाता पर्व की कहानी सूर्य भगवान प्रतिदिन नगरी में पधारते है और सभी जीवों का पालन करते है। राणादे सूर्य नारायण से पूछते है कि सुबह सवेरे आप धरतीलोक चले जाते है और शाम होते ही सूर्यलोक पधारते हो।

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राणा दे की मासीजी : सूर्यदेव की कहानी

राणा दे की मासीजी : प्यारी बाई के कहानी संग्रह से ली गयी दशामाता पर्व की कहानी एक समय की बात है, सूर्य भगवान की रानी के मायके से खबर आती है। परन्तु रानी सा को मायके जाने का मन नहीं थी। सूर्य नारायण भगवान रानी को यह कह कर मायके जबरदस्ती मायके भेजते है

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