बसन्त ऋतु में चैत्र (मधु) और वैशाख (माधव) मास आते है। चैत्र और वैशाख मासों के प्रचलित नाम है। मधु और माधव मासों के वैदिक नाम है जिनका सम्बन्ध ऋतु से है। मधु और माधव दोनों ही शब्द मधु से बनें है। मधु अर्थात एक प्रकार का रस जो वृक्षों, लताओं और जीवों को उत्साहित करता है। जिस ऋतु में इस प्रकार के रस की जिस ऋतु में प्राप्ति होती है, उस ऋतु को बसन्त ऋतु कहते है।
प्रायः यह देखा गया है कि इस ऋतु में बरसात के बिना ही वृक्षों, लताओं आदि पर पुष्प खिल जाते है और सभी जीव जन्तुओ में भी उत्साह, सुख और स्नेह का भाव देखा जाता है। यह तो सर्वविदित ही है कि बसन्त ऋतु में वृक्षों, लताओं के पत्ते कोमल होते है। पत्तो की कोमलता इस रस (जल) की वजह से ही होती है। ग्रीष्म ऋतु आने पर इस जल के सूख जाने के कारण ही पत्ते भी सूख जाते है।
अतः उस ऋतु को बसन्त ऋतु कहते है, जिस ऋतु में प्राणियों को ही नहीं परन्तु वृक्षों, लताओं को भी आह्लादित करने वाला मधु रस प्रकृति से प्राप्त होता है।