लोकोक्तियाँ : प्रमुख लोकोक्तियाँ

अंगूर खट्टे होना / अंगूर खट्टे है

किसी वस्तु का अपनी पहुँच से बाहर होना

अंत भला तो सब भला

अगर किसी कार्य की समाप्ति अच्छी तरह से हो जाये उसे सफल समझते है चाहे उसको करने में काफी दिक्कतें आयी हो

अन्धो में काणा राजा

अयोग्य व्यक्तियो के बीच कम योग्य व्यक्ति को भी श्रेष्ठ मान लिया जाता है

अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत

समय निकल जाने पर पछताने से क्या लाभ

आम के आम गुठलियों के दाम

दुगुना लाभ प्राप्त करने की स्थिति

अपना हाथ जगन्नाथ

अपना काम स्वयं कर लेना ही सर्वोत्तम होता है

ऊँची दुकान फीका पकवान

किसी व्यक्ति अथवा वस्तु का उपरी दिखावा तो बहुत अच्छा है परन्तु गुण या व्यवहार अच्छा नही है

दूध का दूध पानी का पानी

सच और झूठ का सही फैसला

नाच न जाने आँगन टेढ़ा

काम करना नहीं आना और बहाने बनाना

बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख

माँगे बिना अच्छी वस्तु की प्राप्ति हो जाती है, माँगने पर साधारण भी नहीं मिलती

मन चंगा तो कठौती में गंगा

यदि मन पवित्र है तो घर ही तीर्थ है

बगल में छुरी मुँह में राम

भीतर से शत्रुता और ऊपर से मीठी बातें

नया नौ दिन पुराना सौ दिन

नई वस्तुओं का विश्वास नहीं होता, पुरानी वस्तु टिकाऊ होती है

आगे कुआ पीछे खाई

दोनों तरफ से विपत्ति का आना (असमंजस की स्थिति)

आसमान से गिरा खजूर में अटका

किसी कार्य में सफलता के ठीक नजदीक पहुंचने के पश्चात् भी छोटे सी मुसीबत आने पर कार्य का रुक जाना

खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे

अपमानित व्यक्ति दूसरों को दोष देता है

घर की मुर्गी दाल बराबर

आसानी से प्राप्त वस्तु को इतना महत्व नहीं मिलता

खोदा पहाड़ निकली चुहिया

बहुत अधिक परिश्रम करने पर भी अल्प लाभ होने की स्थिति

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